Deepak Sungra - indoreexpress.com 11-Dec-2015 02:36 am
जगत सिंह रौतेला, अल्मोड़ा। तो सिंधु घाटी की सभ्यता का प्रभाव उत्तराखंड तक भी रहा! कुमाऊं की पौराणिक द्वारिका एवं आध्यात्मिक नगरी द्वाराहाट में स्थित कत्यूरकालीन मंदिर के प्रांगण की खोदाई के दौरान मिली शक्ति (योनी-मुद्रा) कुछ यही संकेत दे रही है। प्रकृति रूपी इस शक्ति की पूजा का विधान सिंधु घाटी की सभ्यता से शाक्त संप्रदाय तक रहा था।
खोदाई में निकले शक्ति रूपी पाषाणखंड ने नई बहस व नए सिरे से अध्ययन एवं शोध के द्वार भी खोल दिए हैं। कत्यूरी शासकों की राजधानी द्वाराहाट (अल्मोड़ा) फिर सुर्खियों में आ गया है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) की ओर से कत्यूरकाल के कचहरी देवाल (न्याय मंदिर) के आंगन के पुनर्निर्माण को चल रही खोदाई में सिंधु घाटी की सभ्यता तथा शाक्त संप्रदाय से जुड़ी पाषाण कलाकृतियां मिली हैं।
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