8वें वेतन आयोग का गठन अभी तक नहीं, 50 लाख कर्मचारियों का इंतजार जारी अक्तू॰ 28, 2025

केंद्र सरकार ने जनवरी 2025 में 8वें वेतन आयोग के गठन की सैद्धांतिक मंजूरी दे दी थी, लेकिन अब तक, 10 महीने बीत जाने के बावजूद, आयोग का आधिकारिक गठन नहीं हो पाया है। ये देरी देश के 50 लाख केंद्रीय कर्मचारियों और 69 लाख पेंशनर्स के लिए एक बड़ी चिंता का विषय बन गई है। सातवें वेतन आयोग की अवधि दिसंबर 2025 तक समाप्त होने वाली है, और अगर आठवां आयोग जल्दी नहीं बन गया, तो वेतन वृद्धि का लाभ भी टाला जा सकता है।

आयोग का गठन क्यों टिका हुआ है?

जनवरी 2025 में केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने घोषणा की थी कि सरकार ने आयोग के गठन को मंजूरी दे दी है। लेकिन असली कार्रवाई तब शुरू हुई जब नरेंद्र मोदी कैबिनेट ने 28 अक्टूबर 2025 को आयोग के नियमों और शर्तों को अंतिम मंजूरी दी। इसके बाद ही अध्यक्ष की नियुक्ति हुई — रंजना प्रकाश देसाई, सुप्रीम कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश। उनके साथ पुलक घोष, आईआईएम बैंगलुरु के प्रोफेसर, और पंकज जैन, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस सचिव, आयोग के सदस्य बने।

लेकिन यहां एक बड़ी बात है: आधिकारिक अधिसूचना अभी तक जारी नहीं हुई। आयोग के सदस्य तो नियुक्त हो गए, लेकिन उन्हें काम शुरू करने के लिए अभी तक कोई आदेश नहीं मिला। यही वजह है कि आयोग अभी भी कागज पर मौजूद है, न कि वास्तविकता में।

सिफारिशें कब आएंगी? और कब लागू होंगी?

अश्विनी वैष्णव ने कहा है कि आयोग अपने गठन की तारीख से 18 महीने के भीतर अपनी सिफारिशें पेश करेगा। इसका मतलब है कि अगर आयोग नवंबर 2025 में गठित हो गया होता, तो सिफारिशें नवंबर 2027 तक आ सकती थीं। लेकिन इतिहास बताता है कि आयोग की सिफारिशों को लागू करने में अक्सर दो साल लग जाते हैं।

7वें वेतन आयोग की सिफारिशें जून 2016 में मंजूर हुईं, लेकिन उन्हें 1 जनवरी 2016 से पिछले समय के लिए लागू किया गया। यानी, सरकार ने बकाया के तौर पर लाभ दिया। ऐसा ही करने की संभावना है। अगर 8वें आयोग की सिफारिशें नवंबर 2027 तक आ जाएं, तो भी सरकार उन्हें 1 जनवरी 2026 से प्रभावी कर सकती है — यानी कर्मचारियों को दो साल का बकाया भी मिल जाएगा।

वेतन में कितनी बढ़ोतरी की उम्मीद?

आठवें वेतन आयोग की सबसे बड़ी सिफारिश न्यूनतम मूल वेतन और फिटमेंट फैक्टर पर होगी। वर्तमान में केंद्रीय कर्मचारियों का न्यूनतम बेसिक वेतन ₹18,000 से ₹19,900 के बीच है। स्रोतों के मुताबिक, यह संख्या ₹26,000 तक बढ़ सकती है।

फिटमेंट फैक्टर, जो वेतन वृद्धि की गणना का आधार है, अभी 2.57 है। अगर यह 3.00 से 3.42 तक बढ़ गया, तो छोटे पदों पर काम करने वालों को बड़ी छलांग मिलेगी। उदाहरण के लिए, एक एलडीसी (लोअर डिवीजन क्लर्क) की बेसिक सैलरी अगर ₹19,900 है और फिटमेंट फैक्टर 3.00 हो जाए, तो उसकी नई बेसिक सैलरी ₹59,700 हो जाएगी — लगभग 200% की बढ़ोतरी!

यह बदलाव सिर्फ वेतन नहीं, बल्कि पेंशन, डीए, एचआरए और अन्य भत्तों को भी प्रभावित करेगा। जब 7वां वेतन आयोग लागू हुआ था, तो न्यूनतम वेतन ₹7,000 से सीधे ₹18,000 पर आ गया था। अब यह बदलाव उससे भी बड़ा हो सकता है।

क्या सरकार देरी नहीं करेगी?

कुछ सूत्र बताते हैं कि सरकार एक ऐसा फॉर्मूला ला सकती है, जिसके तहत सिफारिशों को लागू करने में एक साल से कम का समय लगे। यानी, अगर आयोग नवंबर 2025 में गठित हो गया होता, तो शायद 2027 की शुरुआत तक ही सिफारिशें लागू हो जातीं। यह बहुत अच्छी खबर होगी — लेकिन अभी तक कोई ऐसी घोषणा नहीं हुई है।

सवाल यह है: क्या सरकार अपने आर्थिक बजट के दबाव में आकर इस बदलाव को टाल देगी? या फिर, चुनावी साल के बाद कर्मचारियों के समर्थन के लिए इसे जल्दी लागू करेगी? जवाब अभी तक अनजान है।

पिछले आयोगों का इतिहास क्या बताता है?

6वें वेतन आयोग की सिफारिशें 1996 में दी गईं, लेकिन लागू होने में 15 महीने लगे। 7वां आयोग जनवरी 2014 में गठित हुआ, लेकिन सिफारिशें जून 2016 में मंजूर हुईं — दो साल का इंतजार। अब तक का सबसे तेज़ रिकॉर्ड 5वें आयोग का था, जिसने एक साल में काम पूरा किया। लेकिन वो एक अपवाद था।

इस बार भी लगता है कि सरकार को दो साल का समय देना पड़ेगा। और इस बीच, कर्मचारी और पेंशनर अपनी खर्च और बचत की योजनाएं ठीक से नहीं बना पा रहे।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

8वें वेतन आयोग का गठन अभी तक क्यों नहीं हुआ?

हालांकि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 28 अक्टूबर 2025 को आयोग के नियमों को मंजूरी दे दी है, लेकिन अभी तक आधिकारिक अधिसूचना जारी नहीं हुई है। आयोग के सदस्य नियुक्त हो चुके हैं, लेकिन उन्हें आधिकारिक तौर पर कार्यभार सौंपा नहीं गया है। इस देरी का कारण सरकार के आर्थिक बजट और प्रशासनिक प्राथमिकताओं में अस्थिरता हो सकती है।

कर्मचारियों को वेतन वृद्धि का लाभ कब मिलेगा?

अगर आयोग नवंबर 2025 में गठित हो गया होता, तो सिफारिशें नवंबर 2027 तक आ सकती थीं। लेकिन सरकार इन्हें 1 जनवरी 2026 से पिछले समय के लिए लागू कर सकती है — यानी कर्मचारियों को दो साल का बकाया भी मिल जाएगा। यह पिछले आयोगों की परंपरा है।

न्यूनतम वेतन ₹26,000 तक कैसे पहुंच सकता है?

वर्तमान न्यूनतम वेतन ₹19,900 है। अगर फिटमेंट फैक्टर 2.57 से बढ़कर 3.00 हो जाता है, तो न्यूनतम वेतन ₹59,700 हो जाता है। लेकिन यह बेसिक वेतन है। न्यूनतम बेसिक वेतन को ₹26,000 तक बढ़ाने की संभावना है, जिसके बाद फिटमेंट फैक्टर लागू होगा। इससे छोटे पदों के लिए वेतन दोगुना हो सकता है।

पेंशनर्स को भी लाभ मिलेगा?

हां, पेंशनर्स को भी लाभ मिलेगा। पेंशन की गणना बेसिक वेतन पर आधारित होती है। अगर बेसिक वेतन ₹26,000 तक बढ़ जाता है, तो पेंशन भी उसी अनुपात से बढ़ेगा। लगभग 69 लाख पेंशनर्स इस बदलाव से प्रभावित होंगे।

क्या आयोग की सिफारिशें अनिवार्य होती हैं?

नहीं, आयोग की सिफारिशें अनिवार्य नहीं होतीं। सरकार के पास उन्हें स्वीकार करने या अस्वीकार करने का अधिकार होता है। लेकिन इतिहास में कभी भी सरकार ने आयोग की सिफारिशों को पूरी तरह नहीं अस्वीकार किया है। अधिकांश सिफारिशें लागू की जाती हैं, कभी-कभी थोड़े संशोधन के साथ।

अगर आयोग नहीं बना, तो क्या होगा?

अगर 8वां आयोग नहीं बनता, तो सातवें आयोग की सिफारिशें दिसंबर 2025 के बाद भी लागू रहेंगी। लेकिन वेतन वृद्धि का कोई नया आधार नहीं बनेगा। इसका मतलब है कि कर्मचारियों को भविष्य में कोई नई छलांग नहीं मिलेगी, और अनुपाती वृद्धि भी रुक जाएगी।

विवेक शर्मा

विवेक शर्मा

मैं एक समाचार विशेषज्ञ हूं जो भारत की दैनिक खबरों पर लेखन करता हूं। मेरा अभ्यास है जानकारीपूर्ण और विचारशील लेख प्रस्तुत करना। समाचारों के विभिन्न पहलुओं की गहन अध्ययन में मेरी रूचि है। मैं अपने पाठकों के लिए विश्वसनीय और सूचित सामग्री प्रदान करना पसंद करता हूं। मेरा उद्देश्य है समाज को महत्वपूर्ण जानकारी से अवगत कराना।

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