कर्नाटक और तेलंगाना के लाखों छात्रों के लिए बड़ी खुशखबरी—इस बार नवरात्रि-दुर्गापूजा और दशहरा के बीच स्कूल सीधे 17 दिन बंद रहेंगे। छुट्टियां 22 सितंबर 2025 से शुरू होकर 8 अक्टूबर 2025 तक चलेंगी। यह फैसला सरकारी और निजी—दोनों तरह के स्कूलों पर लागू होगा, ताकि बच्चे बिना पढ़ाई के दबाव के परिवार के साथ त्योहार मना सकें। इस अवधि में वीकेंड और राष्ट्रीय अवकाश भी शामिल हैं।
रिपोर्ट: विवेक
शिक्षा विभागों ने त्योहारी मौसम को देखते हुए इस बार लगातार बंद रखने का शेड्यूल जारी किया है। कर्नाटक में सितंबर की शुरुआत में ईद-ए-मिलाद (5 सितंबर) अलग से बंद रहेगा। मुख्य ब्रेक नवरात्रि की घटस्थापना (22 सितंबर) से शुरू होगा। पूर्वी भारत में माने जाने वाले दुर्गा पूजा के प्रमुख दिन—महाषष्ठी से दशमी—का देशभर में सांस्कृतिक प्रभाव रहता है। इसी क्रम में 29 सितंबर को महासप्तमी और 30 सितंबर को महाअष्टमी पड़ रही है। 2 अक्टूबर 2025 को गांधी जयंती और विजयदशमी एक साथ आ रही हैं, इसलिए स्वाभाविक तौर पर उस दिन भी स्कूल बंद रहेंगे।
तेलंगाना में बथुकम्मा का पहला दिन 21 सितंबर 2025 को है, जो महिलाओं का प्रमुख पुष्प उत्सव है और नवरात्रि के साथ चलता है। राज्य का त्योहार कैलेंडर आमतौर पर बथुकम्मा के प्रमुख दिनों और विजयदशमी के अनुरूप तय होता है, इसलिए 22 सितंबर से शुरू होकर शुरुआती अक्टूबर तक लगातार छुट्टियां एक साथ क्लस्टर की गई हैं।
जिलों में स्थानीय मेलों/जत्राओं और मंडल-स्तरीय आयोजनों के कारण 1-2 दिन का फर्क संभव है। ज्यादातर CBSE और ICSE स्कूल भी राज्य सरकार की अवकाश सूची का पालन करते हैं, ताकि कैलेंडर में एकरूपता बनी रहे।
कर्नाटक में मैसूरु दशहरा इस ब्रेक की सबसे बड़ी सांस्कृतिक झलक रहेगा—महल की रौशनी, विमर्श, और जंबू सवारी तक स्कूलों की छात्र-भागीदारी होती है। तेलंगाना में कॉलोनी और गांव-गांव में बथुकम्मा की रंगीन थालियां, लोकगीत, और समुदायिक जमावड़े पूरे मौसम को जीवंत बनाते हैं। परिवार आमतौर पर इसी समय पैतृक घरों की यात्रा, पूजा और समुदायिक कार्यक्रमों को प्राथमिकता देते हैं।
सबसे बड़ा सवाल—पढ़ाई पर असर? विभागों ने साफ किया है कि अकादमिक कैलेंडर समायोजित होगा। ज्यादातर स्कूल मिड-टर्म परीक्षाएं ब्रेक से पहले निपटा देंगे या ब्रेक के तुरंत बाद डेटशीट देंगे। कुछ जगहों पर अक्तूबर के दूसरे-तीसरे सप्ताह में यूनिट टेस्ट शेड्यूल किए जा रहे हैं, ताकि तनाव न बढ़े।
स्कूल लौटने के बाद क्या बदलेगा? कई स्कूल 1-2 शनिवार को कार्यदिवस रखकर पीरियड रिकवरी करते हैं। कुछ जगह शून्य पीरियड (ज़ीरो पीरियड) में रिविजन जोड़ा जाता है। मॉर्निंग असेंबली छोटी की जा सकती है, ताकि पीरियड-टू-पीरियड पढ़ाई पूरी हो। विभागीय निर्देश आमतौर पर होमवर्क लोड संतुलित रखने की सलाह देते हैं—त्योहार के बीच बच्चों पर भारी प्रोजेक्ट थोपने से बचने के लिए।
माता-पिता के लिए प्लानिंग टिप्स सीधी हैं—ब्रेक लंबा है, तो 20-30 मिनट की हल्की रोज़ाना रिविजन, एक-दो रीडिंग असाइनमेंट, और हफ्ते में एक मैथ/साइंस प्रैक्टिस शीट काफी रहती है। लंबी यात्राओं के दौरान ऑडियोबुक/रीडिंग ऐप्स से भी निरंतरता बनी रहती है।
होस्टल और आवासीय स्कूलों में मेस/परिवहन सेवाएं सीमित शेड्यूल पर चलती हैं। छात्र अगर घर जा रहे हैं, तो वापसी टिकट समय रहते सुनिश्चित करें—रेलवे और बसों में इस पीक सीजन में वेटिंग लिस्ट तेज़ी से भरती है। मैसूरु, कुर्ग, हम्पी, हैदराबाद और वारंगल जैसे लोकप्रिय ठिकानों के आसपास होटल बुकिंग पहले से करने पर बजट में रहना आसान होता है।
त्योहार और स्वास्थ्य—देर शाम की भीड़, खुले आयोजन और मौसम बदलने का समय। बच्चों के लिए हाइड्रेशन, हल्के कपड़े और मच्छर से बचाव जरूरी है। बरसात के बाद डेंगू/चिकनगुनिया के मामले बढ़ते हैं, तो खुले में कार्यक्रमों के बाद हाथ-पैर धोने और बुखार-रैश जैसे लक्षणों पर तुरंत डॉक्टर दिखाने की सलाह दी जाती है।
कर्नाटक-तेलंगाना के शिक्षा अधिकारी छुट्टियों का उपयोग सांस्कृतिक लर्निंग के लिए करने की बात करते हैं—दुर्गा पूजा पंडालों की कला, बथुकम्मा के फूलों की लोक-परंपरा, और मैसूरु दशहरा के इतिहास को स्कूल लौटने पर प्रोजेक्ट/डिस्कशन में जोड़ा जाएगा। कई स्कूल अपने स्थानीय समुदाय के आयोजनों में वालंटियर भागीदारी को आर्ट इंटीग्रेटेड लर्निंग के हिस्से के तौर पर मान्यता देते हैं।
ट्रैफिक और पब्लिक सेफ्टी पर भी प्लान बना है—नगर पुलिस और जिला प्रशासन जुलूस/मेले के रूट पर समयबद्ध डायवर्जन लागू करते हैं। स्कूल बसें बंद रहने से शहरों में ऑफिस-आवागमन का पैटर्न थोड़ा बदलता है, इसलिए ऑफिस टाइमिंग और कारपूलिंग पहले से तय करना बेहतर है।
टीचर्स और नॉन-टीचिंग स्टाफ के लिए निर्देश साधारण हैं—छुट्टियों में अनावश्यक बैठकों से परहेज, लेकिन जरूरी मेंटेनेंस, परीक्षा मूल्यांकन, और एडमिशन/ट्रांसफर से जुड़े काम सीमित विंडो में निपटाए जाते हैं। कुछ ब्लॉकों में स्कूल परिसरों का उपयोग सामुदायिक कार्यक्रमों के लिए अनुमति के साथ होता है, जिसकी निगरानी स्थानीय प्राधिकरण करते हैं।
कैरियर परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों—जैसे JEE/NEET/ओलंपियाड—के लिए कोचिंग कक्षाएं अक्सर सामान्य शेड्यूल में चलती हैं या ऑनलाइन शिफ्ट होती हैं। यहां प्लानिंग अहम है: सुबह त्योहार, शाम 2-3 घंटे की केंद्रित पढ़ाई। यह बैलेंस ब्रेक को प्रोडक्टिव बनाता है।
एक अहम बात—छुट्टियों का फायदा तभी है जब वापसी पर ट्रांजिशन स्मूद हो। स्कूल आमतौर पर री-ओपनिंग सप्ताह में माता-पिता-शिक्षक बैठक (PTM) या ब्रीफिंग कक्षाएं रखते हैं, ताकि सिलेबस ट्रैक, मिस्ड कॉन्सेप्ट और अगली टेस्ट डेट्स स्पष्ट हो सकें। समय पर यूनिफॉर्म/स्टेशनरी तैयार रखना और ट्रैवल के बाद 1-2 दिन की रुटीन सेटिंग बच्चों के लिए आसान पड़ती है।
नीति पक्ष पर, एकसाथ क्लस्टर्ड अवकाश से प्रशासन को भी सुविधा मिलती है—मिड-डे मील सप्लाई, परिवहन अनुबंध और सुरक्षा व्यवस्थाएं स्पष्ट टाइमलाइन पर चलती हैं। स्कूलों के कैलेंडर में क्षेत्रीय त्योहारों को सम्मान देने का यही तरीका है—सभी समुदाय बिना पढ़ाई के नुकसान के अपने पारंपरिक कार्यक्रम पूरे कर सकें।
संक्षेप में, दशहरा स्कूल छुट्टियां इस बार सिर्फ आराम नहीं, बल्कि सांस्कृतिक सीख, पारिवारिक समय और पढ़ाई की स्मार्ट पुनर्संरचना का मौका हैं। 22 सितंबर से 8 अक्टूबर तक का यह ब्रेक बच्चों, अभिभावकों और शिक्षकों—तीनों के लिए प्लान्ड तरीके से इस्तेमाल करने पर सबसे ज्यादा फायदेमंद साबित होगा।